मेरी पंचमढ़ी यात्रा -[टीकमगढ़ से जबलपुर तक ]
दोस्तों
ये मेरी पहली यात्रा जो अगस्त 2015 अपने दो दोस्तों के साथ की थी उसका वृतान्तमें आप लोगों के लिए लिख रहा हु वैसे लिखने में मेरी कोई रुचि नही है पर बहुत विचार के बाद मैंने लिखना शुरू किया है
जटाशंकर जाते समय ली गयी फ़ोटो
.......................यात्रा की शुरुआत जौनपुर से रेल द्वारा होती है मैं एक मित्र जिनका नाम सुरेन्द्र है मैं और सुरेन्द्र जी दोनो लोगों ने झाँसी तक टिकट करायी और निकल पड़े सीट हमारी कन्फ़र्म थी तो हम दोनो अब रेलवे स्टेशन पर रेल का इंतज़ार करने लगे और रेल अपने निर्धारित समय पर आ गयी और हमने अपनी यात्रा प्रारम्भ कर दी अब हमें इंतज़ार था झाँसी पहुँचने का और हम लोग ३० मिनट देरी से झाँसी पहुँच गए झाँसी में मेरा एक मित्र सत्यार्थ प्रकाश हम लोगों का इंतज़ार कर रहा था हमने उसे फ़ोन किया वो हमें लेने स्टेशन आ गया हम उसके कमरे पर जा के नित्य क्रिया से निव्रत होकर उसने चाय बनायी और ब्रेड का नाश्ता किया और हमने उसकी बाइक ले के औरछा के रास्ते टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश )के लिए चल दिए और हमने रास्ते में औरछा में ज़्यादा नहि औरछा की सुंदरता को निहारते हुए वेतवा नदी साफ़ पानी प्रसिद्ध छतरियों को निहारते हुए आगे बड़ गए और रास्ते की हरी भरी सड़कों के किनारे घास व जंगलो की हरियाली निहारते हुए झाँसी से १०० किलोमीटर की दूरी तय कर गए कुछ ३ घंटे में उधर टीकमगढ़ मेरा भाई मेरा मित्र जितेन्र्द भारद्वाज मेरा इंतज़ार था मैंने जीतू को फ़ोन किया और बताया कि मैं टीकमगढ़ में हुकहा आना है तो वो मैं जहाँ खड़ा था उस जगह ही मुझे लेने आ गया और अपने कमरे पर ले गया फिर हमने थोड़ी देर आराम के बाद खाना खाया और शाम तक आराम किया..............
मन्दिर प्रांगण में ली गयी फोटो
.फिर शाम को ४ बजे हमने पास के छतरपुर जिले क़रीब ५० किलोमीटर दूर स्थित जटाशंकर महादेव दर्शन करने लिए निकल पड़े और जब रास्ते की हरियाली जो सुंदरता देखने मिली मैं शब्दों में उसका वर्णन कर सकता और जहाँ मन करता हम लोग वही फ़ोटो खिंचने लग जाते और फिर हम जटाशंकर जी के मंदिर जा पहुँचे और वहाँ पर एक झरना है जो मंदिर के सामने गिरता है उसका पानी बहुत साफ़ स्वादिष्ट है उस मंदिर की ये मान्यता है कि मंदिर के दर्शन उस झरने में स्नान के बाद भीगे शरीर से दर्शन व उसी झरने का जल शंकर जी पर चढ़ाया जाता है तो हम लोगों ने झरने में क़रीब ३० मिनट स्नान के बाद दर्शन किए जल चढ़ाया और फिर हम लोग मंदिर के प्रांगण व मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ के ऊपर मंदिर के बाज़ार में घूमे और वहाँ हमें शंकर जी के नंदी जी दर्शन गए जिनके तीन सींग व तीन नेत्र है और अब हम वापस टीकमगढ़ ओर चल दिए रात हम लोग ८:३० के क़रीबन कमरे पर पहुँच गए और रात्रि किया............सुबह हमने पोहे व दही का नाश्ता किया और आसपास की सुंदरता को देखा व महसूस किया और शहर से ३० किलोमीटर दूर स्थित बल्देवगढ़ के खंडहर क़िले का भ्रमण किया...........
वल्देबगढ के किले की फोटो
आगे की यात्रा की मंत्रणा मन चल रही थी रात को सोते समय सुबह ३ बजे का अलार्म लगा दिया और सो गए नींद आते आते १२ बज चुके थे फिर पता नहि कब नींद आ गयी और कब अलार्म बज गया पता ही नहीं चला.........जागने के बाद नित्य क्रिया समाप्त कर के हम लोग(सुरेन्द्र ,मैं और मित्र)सुबह ३:३० पर निकल पड़े सुनसान व अंधेरो से भरे जंगलो के रास्तों पर कई जगह गाय माता ने हमारा रास्ता रोका पूरी सड़क पे झुंड के झुंड बैठे मिले और हम सब से बचते हुए जंगलो व पहाड़ों के घाटों को पार करते हुए बिना रुके दमोह से कुछ पहले सुरेन्द्र जी को परेशानी होने लगी अब एक बाइक तीन लोग परेशानी तो होनी ही थी अब उनको एक नम्बर जाना था अब वो बोलने लगे रुको रुको बहुत तेज़ लगी है सुरेन्द्र जी बहुत कंजूस है अब हमें मौक़ा मिल गया ख़र्चा कराने का अब हमने बाइक जबलपुर रोकने का निर्णय किया अब सुरेन्द्र जी बोलने लगे भाई रोक लो मैंने कहा नाश्ता कराना पड़ेगा तो सुरेन्द्र जी बोले ठीक है १०० का नाश्ता मेरी तरफ़ से पर हमने बाइक रोकी नहीं और कहा २०० का कराओगे तभी रोकेंगे अब मरता क्या ना करता अब सुरेन्द्र जी ने २०० के नाश्ते की हाँ बोल दी और चाहिए घुमक्कड को नाश्ते का जुगाड़ होते बाइक अपने आप रुक गयीएक ढाबे पर और फिर क्या तीन लोगों में एक दुःखी व दो ख़ुश पेट फ़ुल करने के बाद जबलपुर रुकने का लक्ष्य लेकर चल दिए लेकिन एक जगह पहाड़ की हरियाली व उसकी आकृति (बनावट) रुकने पर विवश कर दिया और वहाँ कुछ फ़ोटो लेने बाद
दमोह से पहले ली गई फोटो
जबलपुर के लिए प्रस्थान उसके बाद हम जबलपुर रीवा दमोह सिवनी चौराहा पर जाकर रुके कुछ देर विचार के बाद हम धुआँधार जल प्रपात (भेढा घाट) की ओर चल दिए और नर्मदा नदी के सुंदर जल की कलकल करती प्यारी ध्वनि ने मंत्रमुग्ध कर लिया और जब धुआँधार जब प्यारी ध्वनि का भयंकर आवाज़ सुनीऔर पानी का बहाव देखा तो रोंगटे खड़े हो गए और जब गिरने से जो बौछार वापस हवा के साथ हमारे ऊपरआ रही थी उन बौछारों ने हमारी सारी थकान दूर कर दी इन सबको देखने व सुनने के साथ ही हम लगभग ३०० किलोमीटर का सफ़र तय कर चुके थे और अब जबलपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर छिन्दवाड़ा होकर पंचमढ़ी की ओर आगे की यात्रा अगले भाग में🙏
ये मेरी पहली यात्रा जो अगस्त 2015 अपने दो दोस्तों के साथ की थी उसका वृतान्तमें आप लोगों के लिए लिख रहा हु वैसे लिखने में मेरी कोई रुचि नही है पर बहुत विचार के बाद मैंने लिखना शुरू किया है
.......................यात्रा की शुरुआत जौनपुर से रेल द्वारा होती है मैं एक मित्र जिनका नाम सुरेन्द्र है मैं और सुरेन्द्र जी दोनो लोगों ने झाँसी तक टिकट करायी और निकल पड़े सीट हमारी कन्फ़र्म थी तो हम दोनो अब रेलवे स्टेशन पर रेल का इंतज़ार करने लगे और रेल अपने निर्धारित समय पर आ गयी और हमने अपनी यात्रा प्रारम्भ कर दी अब हमें इंतज़ार था झाँसी पहुँचने का और हम लोग ३० मिनट देरी से झाँसी पहुँच गए झाँसी में मेरा एक मित्र सत्यार्थ प्रकाश हम लोगों का इंतज़ार कर रहा था हमने उसे फ़ोन किया वो हमें लेने स्टेशन आ गया हम उसके कमरे पर जा के नित्य क्रिया से निव्रत होकर उसने चाय बनायी और ब्रेड का नाश्ता किया और हमने उसकी बाइक ले के औरछा के रास्ते टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश )के लिए चल दिए और हमने रास्ते में औरछा में ज़्यादा नहि औरछा की सुंदरता को निहारते हुए वेतवा नदी साफ़ पानी प्रसिद्ध छतरियों को निहारते हुए आगे बड़ गए और रास्ते की हरी भरी सड़कों के किनारे घास व जंगलो की हरियाली निहारते हुए झाँसी से १०० किलोमीटर की दूरी तय कर गए कुछ ३ घंटे में उधर टीकमगढ़ मेरा भाई मेरा मित्र जितेन्र्द भारद्वाज मेरा इंतज़ार था मैंने जीतू को फ़ोन किया और बताया कि मैं टीकमगढ़ में हुकहा आना है तो वो मैं जहाँ खड़ा था उस जगह ही मुझे लेने आ गया और अपने कमरे पर ले गया फिर हमने थोड़ी देर आराम के बाद खाना खाया और शाम तक आराम किया..............
मन्दिर प्रांगण में ली गयी फोटो
.फिर शाम को ४ बजे हमने पास के छतरपुर जिले क़रीब ५० किलोमीटर दूर स्थित जटाशंकर महादेव दर्शन करने लिए निकल पड़े और जब रास्ते की हरियाली जो सुंदरता देखने मिली मैं शब्दों में उसका वर्णन कर सकता और जहाँ मन करता हम लोग वही फ़ोटो खिंचने लग जाते और फिर हम जटाशंकर जी के मंदिर जा पहुँचे और वहाँ पर एक झरना है जो मंदिर के सामने गिरता है उसका पानी बहुत साफ़ स्वादिष्ट है उस मंदिर की ये मान्यता है कि मंदिर के दर्शन उस झरने में स्नान के बाद भीगे शरीर से दर्शन व उसी झरने का जल शंकर जी पर चढ़ाया जाता है तो हम लोगों ने झरने में क़रीब ३० मिनट स्नान के बाद दर्शन किए जल चढ़ाया और फिर हम लोग मंदिर के प्रांगण व मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ के ऊपर मंदिर के बाज़ार में घूमे और वहाँ हमें शंकर जी के नंदी जी दर्शन गए जिनके तीन सींग व तीन नेत्र है और अब हम वापस टीकमगढ़ ओर चल दिए रात हम लोग ८:३० के क़रीबन कमरे पर पहुँच गए और रात्रि किया............सुबह हमने पोहे व दही का नाश्ता किया और आसपास की सुंदरता को देखा व महसूस किया और शहर से ३० किलोमीटर दूर स्थित बल्देवगढ़ के खंडहर क़िले का भ्रमण किया...........
वल्देबगढ के किले की फोटो
आगे की यात्रा की मंत्रणा मन चल रही थी रात को सोते समय सुबह ३ बजे का अलार्म लगा दिया और सो गए नींद आते आते १२ बज चुके थे फिर पता नहि कब नींद आ गयी और कब अलार्म बज गया पता ही नहीं चला.........जागने के बाद नित्य क्रिया समाप्त कर के हम लोग(सुरेन्द्र ,मैं और मित्र)सुबह ३:३० पर निकल पड़े सुनसान व अंधेरो से भरे जंगलो के रास्तों पर कई जगह गाय माता ने हमारा रास्ता रोका पूरी सड़क पे झुंड के झुंड बैठे मिले और हम सब से बचते हुए जंगलो व पहाड़ों के घाटों को पार करते हुए बिना रुके दमोह से कुछ पहले सुरेन्द्र जी को परेशानी होने लगी अब एक बाइक तीन लोग परेशानी तो होनी ही थी अब उनको एक नम्बर जाना था अब वो बोलने लगे रुको रुको बहुत तेज़ लगी है सुरेन्द्र जी बहुत कंजूस है अब हमें मौक़ा मिल गया ख़र्चा कराने का अब हमने बाइक जबलपुर रोकने का निर्णय किया अब सुरेन्द्र जी बोलने लगे भाई रोक लो मैंने कहा नाश्ता कराना पड़ेगा तो सुरेन्द्र जी बोले ठीक है १०० का नाश्ता मेरी तरफ़ से पर हमने बाइक रोकी नहीं और कहा २०० का कराओगे तभी रोकेंगे अब मरता क्या ना करता अब सुरेन्द्र जी ने २०० के नाश्ते की हाँ बोल दी और चाहिए घुमक्कड को नाश्ते का जुगाड़ होते बाइक अपने आप रुक गयीएक ढाबे पर और फिर क्या तीन लोगों में एक दुःखी व दो ख़ुश पेट फ़ुल करने के बाद जबलपुर रुकने का लक्ष्य लेकर चल दिए लेकिन एक जगह पहाड़ की हरियाली व उसकी आकृति (बनावट) रुकने पर विवश कर दिया और वहाँ कुछ फ़ोटो लेने बाद
दमोह से पहले ली गई फोटो
जबलपुर के लिए प्रस्थान उसके बाद हम जबलपुर रीवा दमोह सिवनी चौराहा पर जाकर रुके कुछ देर विचार के बाद हम धुआँधार जल प्रपात (भेढा घाट) की ओर चल दिए और नर्मदा नदी के सुंदर जल की कलकल करती प्यारी ध्वनि ने मंत्रमुग्ध कर लिया और जब धुआँधार जब प्यारी ध्वनि का भयंकर आवाज़ सुनीऔर पानी का बहाव देखा तो रोंगटे खड़े हो गए और जब गिरने से जो बौछार वापस हवा के साथ हमारे ऊपरआ रही थी उन बौछारों ने हमारी सारी थकान दूर कर दी इन सबको देखने व सुनने के साथ ही हम लगभग ३०० किलोमीटर का सफ़र तय कर चुके थे और अब जबलपुर नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर छिन्दवाड़ा होकर पंचमढ़ी की ओर आगे की यात्रा अगले भाग में🙏
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जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अनिल भाई 🙏🙏
हटाएंशानदार यात्रा विवरण फोटो कुछ ज्यादा हो गए
हटाएंधन्यवाद देव रावत जी 🙏🙏
हटाएंशुरुआत है इसीलिए शुभकामनाएँ ... जल्द ही और बेहतर करोगे ... अच्छी बात ये है की शुरू तो किया .. बाक़ी हम है और बेहतर करवाने के लिए
जवाब देंहटाएंसन्नी भाई बहुत बहुत धन्यवाद शुभकामनाओं के लिए अगर आप बडो का मार्ग दर्शन मिलता रहा तो बेहतर करूँगा 🙏🙏
हटाएंअमित भाई अच्छी सुरवात है, जल्दी से अगला भाग लिखे,
जवाब देंहटाएंआगे जाकर आप एक अच्छे यात्रा लेखक बने यही शुभकामनाये
बहुत बहुत आभार आपके होसला बढ़ाने के लिए 🙏
हटाएंअच्छी शुरुआत। फ़ोटो विवरण से भी सुंदर।
जवाब देंहटाएंशुरुआत अच्छी तो सब अच्छा धन्यवाद आपका गुरु जी 🙏
हटाएंबहुत बढ़िया अमित भाई, निरन्तरता बनाये रखे निखार अपने आप आने लगेगा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनिल भाई 🙏🙏
हटाएंअच्छी शुरुआत। बढिया। वर्तनी पे थोङा ध्यान दीजियेगा। एक बात और, भले ही कम कंटेंट डालियेगा पर नियमितता बनाए रखियेगा।
जवाब देंहटाएंजी आगे ध्यान रहेगा .......बहुत बहुत आभार🙏
हटाएंशानदार और ईमानदार प्रयास यात्रा विवरण देने किया आपने अमित भाई .... गुजरते हुए बड़े शहरों के बीच की दूरी और मजेदार अनुभव का भी छोंक लगाये और लजीज हो जाएगा ।
जवाब देंहटाएंजी श्रीपत जी इसका आगे भरपूर अनुभव का तड़का मिलेगा बहुत बहुत आभार🙏🙏
हटाएंबहुत बढ़िया लवानिया जी आपने लिखना शुरू किया। आपके अगले यात्रा लेख और भी रोचक होंगे 💐🙏
जवाब देंहटाएंइस यात्रा के बाद अधिकतर हर यात्रा में आपका ज़िक्र रहेगा बहुत बहुत आभार 🙏🙏
हटाएंआपकी शुरूवात तो हो गयी ।
जवाब देंहटाएंमुझे तो हींदी टाइप करणा नही आता और क्रोई टाइप करके नही दे रहा है।
शुभकामनाएं बहोत सारी ऐसेही लीखते रहो हम पढते रहे
आपकी की भी हो जाएगी शुरुआत बहुत बहुत आभार 🙏
हटाएंतिन सींग वाली गाय ।ग्रेट
जवाब देंहटाएंगाय नहीं नंदी जी तीन सींग तीन आँख 🙏🙏
हटाएंअच्छी शुरूआत है भाई जी।आगे की पोस्ट का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंजल्दी ही अगला भाग आप सब के लिए लिखूँगा 🙏🙏
हटाएंअच्छी शुरूआत है भाई जी।आगे की पोस्ट का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंअति सुंदर यात्रा विवरण पेश किया है आपने
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंFabulous journey....keep on track.... And just walk around India..... May god bless u.... Be happy.... Jai hind
जवाब देंहटाएंThanks 🙏
हटाएंअच्छी शुरुआत
जवाब देंहटाएंकाफी टिप्पणी मिली आपको ये आपकी प्रतिभा को दर्शाता है ।
🙏🙏
हटाएंबहुत ही शानदार शुरुआत यात्रा विवरण की
जवाब देंहटाएंAmit, sabse pehle likhne k liye bhadhai...... likha bhi achha h
जवाब देंहटाएंlakin kuch point h jinka dhayan rakhna h aage k write up
1. pics text k hisab s honi chahiye (na km na jayada)
2. Apni pics ya selfi kam s km dalni chahiye (1 ya 2)
3. kuch jagah sentence overleap kr ( ek bat khatam nhi hui dusri shuru)
4. comma, full shop khi nhi dala
5. aur bat to flow aur stop dono m dal kr rakhoo (dono ka combination hona zaruri)
waise mere alwa bhahut bde bde log h yhan par....
tum ne likhna shuru kia...
mai to kitne dino s likhna chahta hu lakin... abhi tk zero par hi hu...
आपका यात्रा वर्णन बहुत बढ़िया ढंग से लिखा गया है। आप जानकारी बहुत से सहज तरीके से आसान शब्दों में उपलब्ध कराते हो। वर्णन बहुत रोचक है जो पाठक को अपने से बांधे रखता है।
जवाब देंहटाएंमैं भी लिखने का शौक रखता हूँ। आप मेरे आलेख पढ़ने पढ़कर अपनी राय अवश्य दें।(historypandit.com)
Thanks for sharing these wonderful images.
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