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नेपाल यात्रा [बनारस से पोखरा (नेपाल)]

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दोस्तो ये लेख मेरी बनारस से नेपाल यात्रा का है जो मैंने अपने दो मित्रो के साथ 22 मार्च 2016 को बनारस से आरम्भ की। "घुमक्कड़ी का कीड़ा इतना भयंकर होता है कि होली पर सब घर पहुँचते है और हम होली मनाने नेपाल पहुँच गए।"     मेरे दोनो मित्र नरेश चौधरी व जितेन्द्र भारद्वाज जो मेरी इस यात्रा में भी मेरे साथ है। और ये दोनो मेरे साथ बनारस यात्रा (बनारस भ्रमण  http://himalayakabanda.blogspot.com/2017/06/blog-post_12.html ) पर भी मेरे साथ थे।        22 मार्च 2016 की सुबह हमें निकलना था पर समस्या थी की हमारे पास बाइक एक थी। और हम तीन लोग होने से इतनी लम्बी यात्रा एक बाइक पर सम्भव नहीं लग रही थी। फिर मैंने अपने गोरखपुर ओफिस में बात कर के एक बाइक का इंतज़ाम कर दिया।  अब बात थी की गोरखपुर तक कैसे जाया जाये तो नरेश जी को रेल से जाने को तैयार किया वो इतने सुलझे हुए इंसान  है कि एक बार में ही जाने को तैयार हो गए और मैं सुबह 5 बजे उनको मंडुआडिह रेलवे स्टेशन से चौरी चौरा   ऐक्सप्रेस   में बिठा के वापस कमरे पर आया और मेरे को और जितेन्द्र को बाइक से निकलना था। तो हमलोग नित्य क्रिया के बा

बनारस भ्रमण

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ये लेख 20 मार्च 2016 का है जब मैंने अपने दो मित्रो को बनारस भ्रमण का निमंत्रण  दिया और और उन दोनों ने भी बनारस भ्रमण में रूचि दिखाई | दोनों मित्रो के नाम क्रमश: नरेश चौधरी और जीतेन्द्र भरद्वाज  है इन दोनों का परिचय कराता हु आप सभी से परिचय-: नरेश चौधरी-: नरेश जी बहुत ही सुलझे हुए इंसान है और बहुत ही उच्च कोटि के घुमक्कड़ व् फ़ोटोग्राफर है ये बहुत ही जीवंत फोटोग्राफी करते है इनकी आतंरिक शक्ति का में कायल हु ये कठिन से कठिन ट्रेक पर भी  इनको कभी हिम्मत हारते या परेशान होते नहीं देखा हर कठिन समय में मैंने इन्हें बहुत ही शांत पाया |इनका ध्यान कभी परेशानिं पर नहीं होता ध्यान सिर्फ लक्ष्य पर रखते है और आगे बढ़ते जाते है |   जितेंद्र भारद्वाज-: जितेंद्र  भरद्वाज बहुत ही हसमुख और घूमने का शौक़ीन है और यह कई प्रतिभाओ का धनी है जैसे गाना बहुत अच्छा गाता है और लिखता भी अच्छा है मेरे छोटा भाई जैसा है  खतरो का खिलाडी भी है |                 मैं नरेश  जी  को बहुत दिनो से बनारस आने को बोल रहा था पर व्यस्तता के कारण नहीं आ पा रहे थे फिर होली की छुट्टियों में आना तय हुआ तभी अचानक जितें